काली घटाये
निदा अपना मोबाइल अपने बेग में रखते हुए. कार मै बैठ गयी थी, आज उसकी खुशी का ठिकाना ना क्यो की आज उसको दो दो खुशियाँ मिल रही थी.
पहली खुशी उसकी बचपन की सहेली अनम उसकी भाभी बनने जा रही थी.
दूसरी खुशी के वो नन्द बन गयी थी, अपनी बचपन की सहेली और भाभी पऱ खूब रोब जमाउंगी,कार मै से झाँकते हुए निदा ने सोचा,की आगे सीट पऱ बैठी निदा की अम्मी लगातार निदा को देखे जा रही थी,उसकी मुस्कुराहट को देख कर वो भी बहुत ख़ुश होती थी,
निदा और रेहान मेहनाज़ बेग़म के दो ही बच्चे थे. ज़ाकिर के f के बाद दिन रात सिलाई कर कर के अपने बच्चो को पाला था, अब ज़िन्दगी,थोड़ी सी पुरसुकून थी, क्योकि रेहान पढ़ लिख कर नौकरी करने लगा था,
मेहनाज़ कार मै बैठी बैठी सोच रही थी, अब रेहान की शादी के बाद निदा की भी शादी कर दूंगी, जल्दी ही अपनी ज़िम्मेदारी से फ़ारिग होकर बैठ जाउंगी, मेरे दोनों बच्चो के घर बस जाये, बस इतनी ज़िन्दगी दे दे खुदा, निदा और मेहनाज़ अपने बेटे यानी दूल्हे वाली कार में थे, नैनीताल की सर्द वादिया ठंडी हवा के झोंके तन को छू कर जैसे गुज़रते एक कपकपि सी निकलती निदा खिड़की से हाथ और मुँह बाहर करके बाहर का नज़ारा करती,
ऊँचे नीचे पहाड़ पहाड़ो की गोद मै नदी जैसे माँ अपने बच्चे को गोद मै लिये बैठी हो, हर तरफ ख़ामोशी, जब मन ख़ुश होता है, तो वादिया नदी चाँद सितारे देखने पऱ खुशी दोगुनी हो जाती है,
एक जगह गाडी रुकी सब लोग पानी पीने के लिये कार से उतर गए, पीछे बारात की बस आ रही थी,
दूल्हे की गाडी रुकी देख कर वो भी रुक गयी.
बस मै बैठे सभी बाराती उतर गए, कोई पानी पीने लगा, कोई मौसम का मज़ा लेने लगा तो कोई अपनी ज़रूरत का सामान खरीदने लगा.
दूल्हा गाडी मै बैठा रहा, निदा अपने काम से फ़ारिग होकर अपने भाई के पास आकर बैठ गयीऔर कहने लगी, दूल्हे भाई कुछ चाहिए आपको,
रेहान ने निदा के कान खींचरते हुए कहा.
ये दूल्हा लगाना ज़रूरी है क्या, खाली भाई भी तो बोल सकती हो, निदा मुस्कुराकर बोली आज तो दूल्हा भाई कह लेने दो भाई, आज मै बहुत ख़ुश हु, इतनी ख़ुश की मै आपको बता भी नहीं सकती, उसकी खुशी उसके चेहरे से उसके लफ्ज़ो से महसूस हो रही थी,
निदा ने रेहान का हाथ थामा और कहा भाई आपको पता है, मै आज इतनी ख़ुश क्यो हु, रेहाँन ने अपनी बहन निदा के सर पर हाथ रखा और कहा, क्यो की आज तुम्हारे भाई की शादी है, और तुम ये सोच कर ख़ुश हो की अब तुम्हारा नम्बर भी जल्दी आएगा,
कहकर रेहान हसने लगा, निदा नाराज़ हो कर जाने लगी रेहान ने हाथ पकड़ा और बिठाल लिया, निदा ने कहा बताओ ना भाई, रेहान बोला क्योकि आज तुम्हारे भाई की शादी है इसलिए, निदा ने कहा, इसलिए तो ख़ुश हु, लेकिन एक और वजह है, रेहान ने अपना सेहरा उतारते हुआ कहा, क्योकि ख़ादिजा को उसकी मोहब्बत मिल रही है, रेहान ने अपनी जेब से फ़ोन निकलते हुए कहा, कौन ख़ादिजा, निदा ने अपने माथे पऱ हाथ रखा और बोली मेरी माँ ख़ादिजा, आपको नहीं पता ख़ादिजा कौन है, रेहान निदा की तरफ देखते हुए बोला मुझे कैसे पता चलेगा.
मै तुम्हारी सभी सहेलिओ को थोड़ी जानता हु.
निदा ने कहा ओहो भाई आपकी ख़ादिजा आपकी होने वाली बेग़म, मेरी भाभी, मेरी बचपन की सहेली ख़ादिजा, रेहान निदा की बात सुनकर दंग रह गया,
काफी देर खामोश रहा फिर बोला क्या बोल रही हो तुम होश मै तो हो, निदा अपने बालो को पीछे की तरफ करते हुए बोली भाई आपको क्या हुआ,
रेहान ने कहा वो किसी और को चाहती है, निदा बोली भाई आप क्या सोचते हो आपका रिश्ता ख़ादिजा से ऐसे ही हो गया, भाई वो आपसे मुहब्बत करती है,
लेकिन आपको उसने कभी बताया नहीं, उसके दिल का राज़ मेरे और अम्मी के अलावा कोई नहीं जानता आप भी नहीं, रेहान खामोश था, उसे समझ नहीं आरहा था, की वो क्या बोले, क्या पूछे, ख़ादिजा मुझसे मुहब्बत करती है, मैंने तो कभी मेहसूस नहीं क्या अगर करती थी, तो बताया क्यो नहीं, निदा बोली भाई ख़ादिजा आपसे सात साल छोटी है, वो सोचती थी, आप क्या बोलोगे और तो और बहुत मासूम भी है उम्र की वजह से वो खामोश रही अपनी मुहब्बत खुदा पऱ सौंप दी अब देखिये बिना बताये बिना इज़हाऱ किये उसकी मुहब्बत खुदा ने उसे देदी,
अचानक से रेहान के कुछ दोस्त आकर रेहान का हाथ पकड़ कर उसे अपने साथ बस मै ले गए.
उसे अपने पास बिठा लिया रेहान मना भी नहीं कर सका क्योकि दोस्त की शादी की खुशी दोस्तों को भी बे इंतहा होती है, रेहान मन ही मन सोच रहा था,ख़ादिजा मुझसे मुहब्बत करती है, फिर सोचता वैसे ख़ादिजा को बता देना चाहिए था, मै कौन सा इंकार कर देता, अच्छी भली तो है देखने मै,
रेहान दूल्हा बना बैठा था, मन मै अजीब हलचल थी,
शायद उसे ख़ादिजा से मोहोब्बत हो गयी थी,
मगर शादी वाले दिन और अपनी ही बीवी से मोहब्बत बहुत अजीब था, और बहुत हसी का वाइस भी.
क्या ऐसा भी होता है, अपने आप से रेहान ने पूछा.
उधर ख़ादिजा दुल्हन बनी रेहान का बेसब्री से इन्तिज़ार कर रही थी, दिल ही दिल मै खुदा का शुक्र भी अदा करती, और सोच रही थी, शादी की पहली रात वो रेहान को बतायेगी की वो उस से बचपन से मुहब्बत करती है, जब नकली घर बना बना कर खेलते थे, तबसे लेकर अब तक, ये ऐसी शादी थी, की हर इंसान ख़ुश था, सबको किसी ना किसी से कुछ कहना था, निदा ख़ादिजा के भाई अमानत से इज़हार करना चाहती थी, ये दो लोग एक दूसरे का बेताबी से इन्तिज़ार कर रहे थे,किसी को क्या पता था, इनकी खुशियों को गिरहण लगने वाला है,
ख़ादिजा अपने कमरे मै बैठी हुई थी, अमानत ने दरवाना खटखटाया ख़ादिजा दुल्हन बनी बैठी थी.
ख़ादिजा को देख कर अमानत की आंखे भीग गयी.
अमानत को रोता देख ख़ादिजा दोड़कर अपने भाई से चिपट गयी, और जार ओ कतार रोने लगी, अमानत ने अपने आंसू साफ किये, और बोला गुड़िआ आज मै अपने फर्ज़ से अदा हो गया, आज अगर अम्मी होती
तो वो तुम्हे बहुत कुछ सिखाती, लेकिन मै बस इतना कहना चाहता हु, रेहान की अम्मी को अपनी अम्मी समझ लेना ज़िन्दगी आसान हो जाएगी, ख़ादिजा बोली भाई मै आपको कभी शिकायत का मौका नहीं दूंगी, ख़ादिजा के सर पऱ हाथ रख कर अमानत बाहर मेहमानों की देखा भाली मै लग गया,
बार बार निगाहेँ दरवाज़े की तरफ जाती, शायद निदा को तलाश रही थी, जब रहा नहीं गया तब फ़ोन लगा दिया, किसी और इंसान ने उठाया,
बताया की एक शादी की बस खाई मै गिर गयी है,
अमानत के हाथ से फ़ोन छुट् कर ज़मीन पऱ गिर गया,
और आँखों के सामने काली घटा आ गयी, अमानत कदम बढ़ता मगर बढ़ाये किधर उस काली घटा मै ना कुछ दिखाई दे रहा था, और ना कुछ सुनाई चारो तरफ सन्नाटा था, जहा अभी तक शहनाई थी वहा, काला अंधेरा छा गया था, अमानत वही नीचे बैठ गया,थोड़ी देर बाद जब काली घटा हटी तो वो उठकर चला गया, बिना किसी को कुछ बताये,
वहा जाकर देखा तो दूल्हे की लाश सफ़ेद कपड़े मै लिपटी पड़ी है,
पास मै निदा खामोश सुध बुद्ध खोये बैठी है, अमानत ज़मीन पऱ बैठ गया, और जार ओ कतार रोने लगा, थोड़ी देर बाद ज़नाज़ा घर आ गया
दुल्हन बनी बहन से भाई रोते हुए बोला.
गुड़िआ देख तेरा भाई तेरा दूल्हा ले आया,
रेहाँन को इस हालत मै देख कर ख़ादिजा पागल हो गयी, रेहान के जनाज़े के पास बैठ कर ज़ोर ज़ोर से हसने लगी,रेहान का हाथ पकड़ कर उसे उठती, उठो रेहान तुम अभी तक सो रहे हो, देखो मुझे देखो और बताओ मै कैसी लग रही हु,
ख़ादिजा फिर रेहान को आवाज़ देती रेहान उठो ना अभी तो तुम्हे बहुत कुछ बताना है, और तुम सो रहे हो,उसकी बाते दिल को चीर रही थी, मगर क्या कर सकते थे, उधर निदा खामोश बैठी थी, अपनी अम्मी के बिलकुल करीब, उठ कर भाई की लाश के पास बैठ गयी और कहने लगी भाई देखो भाभी बुला रही है, तुम्हे जगा रही, उठ जाओ भाई, अगर तुम नहीं उठोगे तो मै घर वापस चली जाउंगी, फिर मत कहना मेरी शादी छोड़ कर चली गयी,,
अम्मी अम्मी कहती हुई निदा अपनी अम्मी को आवाज़ दे रही थी, सामने बैठी अम्मी उसे दिखाई नहीं दे रही थी, वहा बैठे हर शख्श की आंखे भीगी हुई थी, निदा और ख़ादिजा की बाते तो कलेजा फाड़ रही थी,
उनका गुम लोगो से देखा नहीं जा रहा था, सब उठ उठ कर बाहर जाकर रोकर आते...
शादी की शहनाई वीराना जंगल सी और काली घटाए सी लग रही थी,,,
कुछ महीनों के बाद निदा और अमानत की शादी हो गयी, ख़ादिजा रहाँन के गुम मै पागल हो गयी...
उसकी हालत को देख कर बेहतर इलाज के लिये उसे
पागलखाने भेज दिया, सारी खुशियाँ तहस नहस हो गयी..
कुछ दिनों बाद निदा और अमानत की शादी हो गयी.
निदा अपनी अम्मी को अपने साथ अपने ससुराल ले गयी.... सब लोग एक नयी तरह से ज़िन्दगी की शुरुआत करने लगे...
written by..... fiza tanvi✍️
Miss Lipsa
29-Sep-2021 05:55 PM
Wow
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Shalini Sharma
17-Sep-2021 03:05 PM
Heart touching story
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